दिव्यांगों के अधिकारों का हनन और सरकार की योजनाए नियम कानून की उड़ाई गई धज्जियाँ
कलकत्ता के सॉल्टलेक सिटी सेक्टर 5 में स्थित VRC प्रांगण में नेशनल अबिलयम्पिक्स का क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगता का आयोजन किया गया। जिसमें व्यवसायिक क्षेत्र के 10 स्पर्धा में विकलांगों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला। परंतु दुःखद बात है कि केंद्र सरकार द्वारा विकलांगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किये जाने वाले इस प्रतियोगिता की धज्जियां तो तब उड़ी जब आयोजक संस्था सार्थक एडुकेशनल ट्रस्ट ने उन प्रतिभागियों के आने जाने खाने पीने प्रतियोगिता हेतु जरूरी उपकरण के साथ हीं अनुचित निर्णय प्रक्रिया अपनाई जिससे दूर अन्य राज्यों से आये विकलांग जन काफी आहत हुए हैं। जब इन सभी अनियमितता की जानकारी नेशनल अबिलयम्पिक्स एसोसियन के सदस्यए सार्थक संस्था के अध्यक्ष महोदय एवं सार्थक के CEO जितेंद्र अग्रवाल साहब से बात करने की कोशिश की तब उन्होंने कहा कि इतना तो सहन हीं पड़ेगा। क्योंकि हमारे पास रुपयों का अभाव है जब विकलांग जन अपने साथ हुए अन्याय की गिनती करवा दीए तब तो उन्होंने किन्हीं बातों का जवाब देने से हीं इनकार कर दिया।सबसे शर्म की बात तो यह है कि जहाँ भारत सरकार सुगम्यताए विकलांग से दिव्यांग शब्द का उपयोग और दिव्यांगों को प्रशिक्षण प्रोत्शाहन देने की बात करती है वहीं सार्थक जैसी बड़ी संस्था के अधिकारी गण कहते हैं कि आपको ये सब सहना पड़ेगा।इस प्रतियोगिता में आये हुए साथियों का कहना है कि पहले 34 प्रकार की प्रतियोगिता कराई जाती थी और इस वर्ष 10 कर दिया गया। पहले प्रथम द्वितीये और तृतीय को राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने का मौका मिलता था अब तो हर क्षेत्रीय प्रतियोगिता से मात्र प्रथम स्थान वाले हीं शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार की योजना अंतर्गत VRC में दिए जाने वाले लगभग सभी ट्रेड की प्रतियोगिताओ को बंद कर दिया गया साथ हीं जहाँ सरकार ने विकलांगों के नॉकरी में भी उम्र की छूट दे रखी है वहीं इस प्रतियोगता में उम्र की समय सीमा भी घटा कर 35 वर्ष कर दी है।प्रतियोगिता में आये प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि सही व्यवस्था और निर्णय नहीं होने के कारण राष्ट्रीय प्रतियोगिता से वंचित कर दिया गया। इसका विरोध करते हुए सारे विकलांगजन रोड पर बैठ गयें लेकिन सार्थक के कोई अधिकारी सुध लेने भी नही पहुंचे। अब हम अपनी आवाज को केंद्र सरकार तक लेकर जाएंगे।
vaishnavi