स्व. मधुसूदन प्रसाद की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा सह काव्य-गोष्ठी का आयोजन..

पटना।साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘सामयिक परिवेश’ द्वारा अभियंता नगर स्थित महासरस्वती टावर में स्व. मधुसूदन प्रसाद की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा सह काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने संबोधन में कहा कि स्व. मधुसूदन बाबू एक कुशल शिक्षक, गणितज्ञ के अलावा संगीतज्ञ और साहित्यप्रेमी भी थे। इस अवसर पर आनंद बिहारी प्रसाद ने कहा कि मधुसूदन बाबू सादगी और सच्चरित्रता की प्रतिमूर्ति थे।प्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेवी ममता मेहरोत्रा ने कहा कि सामयिक परिवेश द्वारा आगे से इस आयोजन को और विस्तृत रूप दिया जाएगा।

मधुसूदन बाबू के पुत्र एवं प्रसिद्ध शायर समीर परिमल ने अपने पिता की स्मृतियों को जीवंत करते हुए सुनाया …

“मैंने आंगन में जो डाली कुर्सी

बन गई हाय सवाली कुर्सी

वक़्त बेवक़्त बुलाती है मुझे

मेरे वालिद की वो ख़ाली कुर्सी”

दूसरे सत्र में एक भव्य काव्य-गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें क़ासिम ख़ुरशीद, संजय कुमार कुंदन, समीर परिमल, रामनाथ शोधार्थी, अक्स समस्तीपुरी, परवेज आलम, विकास राज, ज्योति स्पर्श, कुंदन आनंद, नेहा नारायण सिंह, ओसामा ख़ान, अहमद सिद्दीकी, अविनाश अमन, प्रत्यूष चंद्र मिश्र, नरेंद्र कुमार, गणेश जी बागी, सूरज ठाकुर बिहारी, अविनाश अम्न, असमुरारी नंदन मिश्रा, हेमंत दास हिम, कुंदन आनंद आदि ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। रामनाथ शोधार्थी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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