मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत ने एक बार फिर आवाज उठाई

जिनेवा : जिनेवा में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है।एक पड़ोसी होने के नाते भारत यहां की स्थितियो पर करीब से नजर रख रहा है।
जयशंकर ने आगे बताया संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मुताबिक अफगानिस्तान में गरीबी का स्तर 72% से बढ़कर 97 % होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा कारणों से यह मानवीय जरूरतों में बड़ा बदलाव आया है इसे देखते हुए महत्वपूर्ण है कि यात्रा और सुरक्षित मार्ग का मुद्दा जो मानवीय सहायता में बाधा बन सकता है उसे तुरंत सुलझाया जाए जो लोग अफगानिस्तान में और बाहर यात्रा करना चाहते हैं उन्हें बिना किसी रूकावट के ऐसे सुविधाएं दी जानी चाहिए ताकि लोगों को बिना किसी रोक-टोक के आने-जाने की सुविधा मिल सके जयशंकर ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के नियमित कोमर्सियल ऑपरेशन से दूसरे देशों को भी सहायता भेजने में शामिल हो गए आसानी होगी।
अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में विकास परियोजना भारत से दोस्ती की पूरक है इस आपात स्थिति में भी भारत एक दोस्त की तरह अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा था और आगे भी रहेगा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी एक बेहतर वातावरण के निर्माण के लिए मजबूती के साथ अफगानीयो का साथ देना चाहिए।


अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र 147. 26 करोड़ रुपए की मदद देगा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिब्द्द है। जिनेवा में आयोजित एक सम्मेलन में गुटेरेस ने कहा कि अफगानिस्तान के लोग दशको से युद्ध पीड़ा और असुरक्षा के बाद अपने सबसे खतरनाक समय का सामना कर रहे हैं। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए उनके साथ खड़े होने का समय है।

Report by : Kajal Srivastav

 

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