विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 05 जून को मनाया जाता है. इसके पीछे मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. इस दिन पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. लोगों में पेड़ों को संरक्षित करने, पेड़ पौधे लगाने, नदियों को साफ रखने, प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करने जैसे आदतों को, स्वभाव में लाने की सलाह…

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लक्ष्य निर्माण

लक्ष्य निर्माण

 यदि आप काम की तलाश में लक्ष्य विहीन होकर सड़क पर निकल पड़े हैं और इसी बीच में किसी राहगीर से पूछते हैं यह सड़क मुझे कहां ले जाएगी तो इसके उत्तर में वह आपसे पहले यह प्रश्न करेगा आपको जाना कहां है जब आप उसे कोई निश्चित स्थान बताएंगे तभी वह आपका सही मार्गदर्शन कर सकेगा अन्यथा आप एक लक्ष्य विहीन की तरह इधर-उधर घूमते रहेंगे आसपास है बिना लक्ष्य तय किए किसी कार्य…

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जीवन का मूल्य क्या है

जीवन का मूल्य क्या है

जीवन का मूल्य क्या है यह हमें आध्यात्मिक चेतना बताती है आध्यात्मिक चिंतन से हमारी नैतिकता और चरित्रता का निरंतर विकास होता है जो किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए विशेष गुण माने जाते हैं अतः जरूरी है कि आप आध्यात्मिक को भी अपने जीवन का अंग माने जिससे आप आत्म स्तर पर भी उन्नति करते रहे, ऐसा करने से आपकी मानसिकता में जीवन के प्रति अनुकूलता बनी रहेगी और फिर आप सकारात्मक…

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“तमसो मा ज्योतिर्गमय”

“तमसो मा ज्योतिर्गमय”

“तमसो मा ज्योतिर्गमय” हे सूर्य! हमें भी अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो… हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है. पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन. उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है, इसलिए…

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संगठन का महत्व

संगठन का महत्व

एक व्यक्ति था, जो हमेशा अपने संगठन में सक्रिय रहता था . उसको सभी जानते थे , बड़ा मान सम्मान मिलता था. सबके जीवन में सुख दुख का फेरा तो चलता ही रहता है . इसी तारतम्य में एक दिन अचानक किसी सामाजिक दुख प्राप्ति के कारण उसका मन संसार से उचाट हो गया. वह निश्क्रिय रहने लगा , मिलना – जुलना बंद कर दिया , और संगठन से दूर हो गया। कुछ सप्ताह पश्चात्…

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“भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर “

“भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी  ठाकुर “

भिखारी के सबसे प्रसिद्ध रचना उनके लोक नाटक “बिदेसिया ” हवे 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर में, बहुमुखी प्रतिभा के धनी भिखारी ठाकुर का जन्म हुआ.अपनी जमीन और जमीन की सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं तथा राग-विराग की जितनी समझ भिखारी ठाकुर को थी, उतनी किसी अन्य किसी भोजपुरी कवि में दुर्लभ है. भोजपुरी माटी और भोजपुरी अस्मिता के प्रतीक भिखारी ठाकुर “भोजपुरी के शेक्सपियर” कहे जाते हैं. भोजपुरी के शेक्सपीयर…

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राजनीति और परिवारबाद

राजनीति और परिवारबाद

परिवारबाद और वंशबाद की राजनीतिक धारा के बहाव पर और इस ओर उत्तरोत्तर बढता झुकाव पर राजनीति और समाज से जुड़े लोगों को चिंतन – मनन करने की आवश्यकता है। पर, इस मुद्धे को न तो राजनीतिज्ञ और न ही सामाजिक सरोकार रखने वाले गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यही कारण है कि राजनीतिक सियायत में परिवारबाद और वंशबाद निरंतर ऊंचाईयां छू रही है। बिहार मे भी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल से जुड़े राजनीति…

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“एक सोने की चिड़िया “

“एक सोने की चिड़िया “

‌भारत, “एक सोने की चिड़िया ” के नाम से जाने जाने वाला राष्ट्र था. इस पर विश्वा के कई देशों के नज़र टिकी थी. कई तो आए और उल्टे पाओ निकल पड़े. कई आक्रमणकारियों ने इसे लूटा, कई राजाओं ने इसपर राज किया और वापस चले गये. यह राष्ट्र कृषि प्रधान होने के साथ ही साथ सर्वगुण संपन्न भी था. यहाँ के लोगों का कोमल हृदय और “अतिथि देवो भावः” के सहारे जी रहे थे….

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बिहार और गरीबी

बिहार और गरीबी

बिहार मे गरीबी का चोली-दामन का संबंध है । कहा जाता हैं जिस राज्य का शासक अर्ध्ययोग्य हो बह राज्य हमेशा उपेक्षा का पात्र बन कर रह जाता हैं जो कि बिहार के साथ चरितार्थ हैं। बिहार को एक भी योग्य व्यक्ति के हाथों में नहीं सोपा गया जिसका परिणाम यह गरीबी हैं। बिहार एक ऐसा राज्य जो विकसित राज्यौ का आबादी इस राज्य को तथा राज्यवासियों को हीन भावनाओं से दर्शाता हैं।वास्तविकता  कुछ और…

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भारत में व्यापारिक बैंकों का प्रारम्भ (Introduction to Commercial Banking in India):

भारत में व्यापारिक बैंकों का प्रारम्भ (Introduction to Commercial Banking in India):

BY Ajay Kumar Nirala भारत में व्यापारिक बैंकों का इतिहास अति प्राचीन नहीं है । 19वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही इनका इतिहास प्रारंभ होता है । प्रारंभ में अंग्रेजों द्वारा स्थापित प्रणाली असफल हो गए थे जिससे अधिकांशतः व्यवसाय करने वाली संस्थाओं की स्थापना की गयी और देश में व्यापारिक बैंकों की स्थापना प्रारंभ हो गयी । 20वीं शताब्दी से देश में वाणिज्यिक अधिकोषों के विकास में गति मिली और वे प्रगति के पथ…

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