हिंदी दिवस
साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था. इसे गांधी जी ने “जनमानस की भाषा” भी कहा था. इन्होने बताया कि “राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है “.
सुमित्रानंदन पंत कहते हैं, ” हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है.”
वहीं बाल कृष्ण शर्मा कहते है, ” राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिन्दी ही जोड़ सकती है.”
सन् 1947 में देश आजाद होने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न था कि किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए. काफी विचार विमर्श करने के बाद 14 सितंबर सन् 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया. जब हिंदी को राजभाषा के रुप में स्वीकार किया गया, तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी के प्रति गाँधी जी के प्रयासों को याद किया. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए इस दिन को हिंदी दिवस के रुप में मनाने को कहा था. इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया है, जिसके अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है. सन् 1953 से 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई.
हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने के बाद गैर हिंदी भाषी लोगों ने इसका विरोध किया, जिसके कारण अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा बनाया गया.
हिंदी पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है.हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते, समझते और पढ़ते हैं.
आधिकारिक काम-काज की भाषा के तौर पर भी हिंदी का उपयोग होता है.
हिंदी की सबसे अच्छी बात ये है कि यह समझने में बहुत आसान है, इसे जैसा लिखा जाता है इसका उच्चारण भी उसी प्रकार किया जाता है.
वहीं दूसरी ओर भारत में अन्य कई भाषाएं विलुप्त हो रही हैं. जो चिंतन का विषय है. ऐसे में हिंदी की महत्ता बताने और प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी दिवस को मनाया जाता है.
हिंदी दिवस के मौके पर देशभर के स्कूलों, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है.
सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में 15 दिन तक हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है.
अतः भारत देश के नागरिक होने के नाते हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम हिंदी को आगे बढ़ाने का प्रयास करें. अपने काम-काज की भाषा के रुप में हिंदी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें.
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