कर्म का फल दूसरे युग मे भी मिल सकता है।

कर्म का फल “एक या दूसरे अवतार” में नही बल्कि “एक से दूसरे युग” मे भी मिल सकता है।

“श्री कृष्ण” ने कंस को उनके जन्म के 14 वर्ष बाद मारा और फिर वासुदेव जी – देवकी जी को कारागार से मुक्त करवा दिया। देवकी जी ने श्री कृष्ण से पूछा, “बेटा, तुम जन्म से जानते थे कि तुम भगवान हो, तो हमें 14 वर्ष तक जेल में क्यों रहने दिया?” अगर चाहते तो तुम हमें जन्म के तुरंत बाद छुड़ा सकते थे …

♦️ श्री कृष्ण ने कहा – सुनो माँ मेरा पहला अवतार “श्री राम” का था, आप उस जगत के माता “कैकेयी” थे, ओर पिता “राजा दशरथ” थे, आपने मुझे बिना कोई कारण 14 वर्ष का वनवास दे दिया था, इसी कारण आप के पूर्वजन्म के “प्रायश्चित” के रूप में आपको 14 वर्षो तक कारावास भुगतना पड़ा, “माता यशोदा” का अर्थ पूर्वजन्म की माँ “कौशल्या”। मेरे वनवास के कारण उन्हें पुत्र वियोग 14 वर्ष तक भुगतना पड़ा था, वो 14 वर्ष की भरपाई मैंने उनके साथ 14 वर्ष रहकर की।

♦️ कर्म का फल सभी को भुगतना पड़ता है, इसमे देवताओं को भी इस बात से भिन्न नहीं किया जाता।
स्वार्थ को छोड़कर अच्छे कर्म निरंतर करते रहिये।

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