महाराणा प्रताप // बलिदान दिवस

जन्म : 09 मई 1540
मृत्यु : 19 जनवरी 1597

महाराणा प्रताप के पराक्रम से अकबर भी घबराता था. इसलिए युद्ध को टालने और अधीनता स्वीकार कराने के लिए अकबर ने 6 बार अपने दूत और मुग़लों के अधीन मेवाड़ का सिंहासन चलाने की पेशकश की लेकिन महाराणा प्रताप ने इसे हर बार मानने से इंकार कर दिया.

महाराणा प्रताप बेहद बलशाली और युद्ध-कौशल में निपुण थे. उनके रण-भूमि में आते ही दुश्मनों में भय का माहौल बन जाता था. युद्ध में वे अपने चहेते घोड़े चेतक पर सवार होकर जाते थे.

>> महाराणा प्रताप के युद्ध हथियार <<

1. महाराणा प्रताप युद्ध के वक्त हमेशा एक भाला अपने साथ रखते थे, जिसका वजन 81 किलो था. वह इस भाले को एक हाथ से नजाते हुए दुश्मन पर टूट पड़ते थे.

2. युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे.

3. इतिहासकारों के अनुसार महाराणा प्रताप के भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलोग्राम होता था.

4. महाराणा प्रताप के हथियार इतिहास के सबसे भारी युद्ध हथियारों में शामिल हैं.
5. महाराणा प्रताप अपने एक वार से ही घोड़े के दो टुकड़े कर देते थे.

>> महाराणा प्रताप : परिचय व परिवार <<

1. महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था.

2. महाराणा प्रताप ने राजनैतिक कारणों से कुल 11 शादियां की थीं.

3. महाराणा प्रताप के कुल 17 बेटे और 05 बेटियां थीं.

4. महारानी अजाब्दे से पैदा हुए पुत्र अमर सिंह को महाराणा प्रताप का उत्तराधिकारी बनाया गया था.

5. अमर सिंह भी अपने पिता महाराणा प्रताप की तरह बहुत बहादुर और पारक्रमी थे.

6. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी युद्ध के वक्त अमर सिंह की आयु 17 वर्ष थी.

7. मेवाड़ की रक्षा करते हुए महाराणा प्रताप की 19 जनवरी 1597 को मृत्यु हुई थी.

8. अकबर जानता था कि धरती पर महाराणा प्रताप जैसा कोई दूसरा वीर नहीं है.

>> महाराणा प्रताप के 10 वाक्य <<

1. समय इतना ताकतवर होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है.

2. मनुष्य का गौरव व आत्म सम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है. इसलिए इनकी सदैव रक्षा करनी चाहिए.

3. अपने व अपने परिवार के साथ जो अपने राष्ट्र के बारे में भी सोचते हैं, वही सच्चे नागरिक होते हैं.

4. तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए.

5. अन्याय व अधर्म आदि का विनाश करना पूरी मानव जाति का कर्तव्य है.

6. जो अत्यंत विकट परिस्थिति में भी हार नहीं मानते हैं, वो हार कर भी जीत जाते हैं.

7. जो सुख में अतिप्रसन्न और विपत्ति में डर कर झुक जाते हैं, उन्हें न तो सफलता मिलती है और न ही इतिहास उन्हें याद रखता है.

8. अगर सांप से प्रेम करोगे तो भी वह अपने स्वभाव अनुरूप कभी न कभी डसेगा ही.

9. शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाए रखना होता है.

10. अपना गौरव, मान-मर्यादा और आत्म सम्मान के आगे जीवन की भी कोई कीमत नहीं है.

>> महाराणा प्रताप के 10 रोचक किस्से <<

1. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह उनका घोड़ा भी बहुत बहादुर और समझदार था.

2. महाराणा प्रताप को बचपन में प्यार से कीका कहकर बुलाया जाता था.

3. महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के बीच हल्दी घाटी का विनाशकारी युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था. इतिहास में हल्दी घाटी के युद्ध की तुलना महाभारत के युद्ध से की गई है.

4. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी के युद्ध में न तो अकबर की जीत हुई थी और न ही महाराणा प्रताप हारे थे. इसकी वजह महाराणा प्रताप के मन में राज्य की सुरक्षा का अटूट जज्बा था.

5. हल्दी घाटी के युद्ध को टालने के लिए अकबर ने छह बार महाराणा प्रताप के पास अपने शांति दूत भेजे, लेकिन राजपूत राजा ने हर बार अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

6. हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने मात्र 20 हजार सैनिकों के साथ मुगल बादशाह अकबर के 80 हजार सैनिकों का डटकर सामना किया था. बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को झुका नहीं सका था.

7. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था. हालांकि इसी युद्ध में घायल होने से उसकी मौत हुई थी.

8. चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है.

9. चेतक ने अंतिम दम तक महाराणा प्रताप का साथ दिया. युद्ध में मुगल सेना से घिरने पर चेतक महाराणा प्रताप को बैठाकर कई फील लंबा नाला फांद गया था.

10. महाराणा प्रताप जितने बहादुर थे, उतने ही दरियादिल और न्याय प्रिय भी. एक बार उनके बेटे अमर सिंह ने अकबर के सेनापति रहीम खानखाना और उसके परिवार को बंदी बना लिया था. महाराणा ने उन्हें छुड़वाया था.

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