पटना 24 जुलाई, इज़राइली कंपनी एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस के माध्यम से अनेक राजनेताओं, पत्रकारों और जजों की जासूसी किये जाने का मामला प्रकाश में आया है,जो चिंतनीय है। यह जासूसी विभिन्न देशों की सरकारों के इशारे पर अपने-अपने देशों में उन व्यक्तियों की हुई है, जो सरकार के विरोध के लिए जाने जाते हैं। जिन लोगों की जासूसी की गई है उनमें भारत के 40 से अधिक लोग शामिल हैं। 10 देशों के 16 विभिन्न मीडिया संस्थानों के सैकड़ों पत्रकारों द्वारा यह मामला सामने आया है। ये संजीव कुमार सिंह का कहना हैं।
इस संदर्भ में राष्ट्रीय नेता भारतीय राष्ट्रीय काँगेस, आल इंडिया कांग्रेस कमिटी के उत्तरप्रदेश के पर्यवेक्षक, और सुप्रीमकोर्ट के मशहूर वकील संजीव कुमार सिंह का कहना हैं कि चोर की दाढ़ी में तिनका कहावत मोदी सरकार पर पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। मोदी सरकार अपने विरोधियों की जासूसी करवा रही है,उनको अपनी सत्ता के पाए खिसकने का डर है और जो गलत होता हैं वही डरता है। क्योंकि हर क्रिमिनल डरपोक होता है। हर तानाशाह भीतर से डरा हुआ होता है, इसीलिए वह हमेशा सशंकित रहता है और अपने विरोधियों की गुप्तचरी करता हैं। जैसे पर्यवेक्षक परीक्षा लेते समय छात्र की हरकत से भांप जाते हैं कि इस छात्र के पास नकल है। आज इसी हालत में हमारी बहुमत से चुनी हुई केंद्र सरकार है। रविशंकर प्रसाद की बोली बानी और तेवरों ने पेगासस की सूची आने पर जो तत्काल सफाई दी वह इंगित करती है कि वो कितने डरे हुए हैं। बाद में सारे सबूत उजागर होते जा रहे हैं और भारत सरकार कटघरे में आती नज़र आ रही है। सवाल ये है कि आखिर इतनी डरी हुई बहुमत की सरकार क्यों है ? क्यों उसे जासूसी की ज़रुरत पड़ी। किसी पर भरोसा ही नहीं? अपने मंत्रियों की जासूसी, फौज और जज पर निगरानी। पत्रकारों को भी नहीं बख़्शा ? विपक्ष के नेता राहुल गांधी, अभिषेक बनर्जी, राजनैतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जासूसी। बड़ी लंबी सूची है अविश्वासी लोगों की। कहते हैं डरते वहीं हैं ना जो ग़लत करते हैं। तो, ऐसा क्या कर गुजरी है यह सरकार कि इतनी भयातुर है। उधर राफेल की दलाली का ऊंचा खेल हुआ। अनिल अंबानी याद है ना उनके पास भी कोई तज़ुर्बा कहां था। सब रफा दफा हो गया था, लगता था गहरे दफन हो चुका है लेकिन फिर सामने खड़ा है मोदी सरकार का पानी उतारने। राहुल गांधी जी की चौकीदार चोर है। आवाज़ अनसुनी की गई लेकिन झूठ एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है। कोरोना काल में पी एम केयर फंड नाम से प्राप्त अरबों रुपए की राशि के बावजूद लाखों लोगों का चिकित्सा अभाव में मरना भी मोदी जी को कटघरे में खड़ा करता है। फंड का कोई हिसाब किताब नहीं दिया गया। गुजरात के भागे हुए बैंक लुटेरों की गैंग का रहस्य भी एक दिन सामने आ ही जाएगा। ई वी एम हैकिंग का कारोबार भी इज़राइल से ही चलता है।
श्री सिंह ने अपनी महत्वपूर्ण बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि लोकसभा के 2019 के चुनाव की भारी जीत भी रहस्यमय है। कुल मिलाकर अपराधों के बोझ से दबी हुई सरकार बेहद डरी हुई है इसलिए उन सबकी जासूसी करवाती रही कि लंबे रहस्य उजागर ना होने पाए। जनता की आवाज़ के दमन हेतु पत्रकारों पर यह पहरेदारी कलंकित करने वाली है। यदि यह चौथा स्तंभ ही धराशाही हो गया तो लोकतांत्रिक व्यवस्था मृतप्राय हो जाएगी। गुजरात नरसंहार मामले में बेदाग बरी करने वाले जज को उपकृत करना तथा जस्टिस लोया की हत्या का आज तक खुलासा ना होना। राम मंदिर ज़मीन के मन मुताबिक फैसला देने वाले जज को भी उपकृत किया गया। सात साल सिर्फ झूठ,कुतर्क, गुप्तचरी और झांसों के सहारे टिकी सरकार काला धन आज तक नहीं ला पाई, दो करोड़ लोगों की नौकरी,15 लाख खातों में जमा, पेट्रोल गैस डीजल के दाम कम होंगे, अच्छे दिन आऐंगे की एवज में उद्योगों, व्यापार और वित्त के क्षेत्रों को निगलने के बाद कॉर्पोरेट पूँजी की लालची ऑंखें अब ज़मीन और खेती- किसानी की तरफ घूम गयी हैं। खेती- किसानी के साथ-साथ कॉर्पोरेट पूँजी का इरादा सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद सड़क, रेल, हवाई अड्डे, विमानन कंपनियाँ, जहाज, बंदरगाह आदि सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के सार्वजनिक सेवा क्षेत्र को निगल जाने का भी है। नोटबंदी के दौरान कितना कालाधन उजला किया गया कि अर्थव्यवस्था को ग्रहण लग गया। अनगिनत कारनामे हैं इस बहुमत वाली सरकार के। विपक्ष कमज़ोर है फिर भी मोदी सरकार को बहुत डर लगता है क्योंकि ये मोदी सरकार सात साल से सत्ता में सिर्फ जासूसी, झूठ, कुतर्क और झांसों के सहारे ही टिकी हैं।