राजेश मिश्राः पत्रकारिता का वो नाम जिन्होंने हौसले और जिद से बनायी अपनी पहचान

कहतें हैं जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है और खासकर बात पत्रकारिता की हो तो संघर्ष हीं यहां तकदीर है। संघर्ष की मुश्किल राहों पर चलकर मुकाम पाना बड़ा मुश्किल है। इस पेशे में वक्त और हालात इम्तहान की जिद पर होते है, हर रोज एक नये इम्तहान से गुजरना पड़ता है। इन तमाम मुश्किलों का सफर तय कर मंजिल तक पहुंचने वाले लोग व्यक्ति से व्यक्तित्व बन जाते हैं। आज बात ऐसे हीं एक व्यक्तित्व राजेश मिश्रा की जिन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में एक अलग पहचान बनाई है, राजेश मिश्रा जिन्होंने खुद हौसलें और जिद से अपनी राह आसान की बल्कि कई लोगों में हौसले का संचार किया उन्हें कुछ करने की जिद दी। राजेश मिश्रा अभी दर्श न्यूज चैनल के चैनल हेड हैं। पेश है उनसे बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः
प्र. टूडे24- आप कहां के रहने वाले हैं?
राजेश- बिहार की राजधानी पटना से तकरीबन 56 किलोमीटर पूरब बाढ़ अनुमंडल के अथमलगोला प्रखंड के एक छोटे से गांव महुली का रहने वाला हूं। लेकिन मेरी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड के हजारीबाग जिला में हुई। बाद में उच्च शिक्षा बख्तियारपुर के रामलखन सिंह महाविद्यालय में हुई।
प्र.टूडे24- क्या शुरू से ही पत्रकारिता में आने का इरादा था?
राजेश- नहीं ये एक मात्र संयोग था। दरअसल शुरू से मेरी रुची रंगमंच और खेलकुद में थी। और इस दौरान मेरी जान पहचान पत्रकारों से हुई फिर लिखने का सिलसिला भी शुरू हुआ। जब पहली बार मेरा आलेख छपा तो बेहद खुशी हुई। और फिर ये सिलसिला चल पड़ा। छोटे दृछोटे अखबारों,पत्र पत्रिकाओं,आकाशवाणी में लिखता रहा। लेकिन रंगमच,बड़ा पर्दा और फिर छोटा पर्दा मुझे आकर्षित करते रहे। इस दौरान कई खट्टी-मिठ्ठी यादें जीवन ने अनुभव किए।
प्र.टूडे24- फिर अचनाक इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कैसे आए?
राजेश- देखिए इसके पीछे की भी एक दिलचस्प कहानी है। जैसा की मैं पहले ही आपको बताया , मुझे लाइट,कैमरा,एक्शन शुरू से आकर्षित करते रहे हैं। एक बार मैं जिद्द कर एक्टर बनने के लिए मुंबई भी चला गया था, लेकिन हमारे पिताजी नहीं चाहते थे कि मेरा बेटा एक्टर बने। उनकी नजर में नाच-गाना,नाटक ये सब बेकार के काम थे। पिताजी चाहते थे कि मेरा बेटा पुलिस अधिकारी बने। जो मुझे पसंद नहीं था। दरअसल वो खुद बिहार पुलिस में थे। इसलिए उनकी सोच सही थी। वो अपने जगह पर ठीक थे। लेकिन मेरी मां,बड़ी बहन और छोटे भाई को कोई एतराज नहीं था।कुछ दिनों तक तो घर में कभी खुशी कभी गम का महौल बना रहा। बाद में मुझे मुंबई छोड़नी पड़ी । क्योंकि घर से सपोर्ट पुरी तरह अब बंद हो चुका था। लेकिन मेरा अंदर विकल्प की तलाश जारी थी। क्योंकि हारना मुझे पंसद नहीं है।तब मैने टीवी की ओर रुख किया। एक दिन मेरी मुलाकात वरीष्ठ पत्रकार श्रीकांत प्रत्युष जी से हुई। पहले दिन ही उन्होनें अपने साथ काम करने की इज्जात दे दी। उस वक्त उनका चैनल पीटीएन न्यूज लॉच हुआ था। फिर क्या था यहीं पर रिपोर्टिंग,एंकरिंगी, कैमरा,एडिटिंग,स्क्रीप्टिंग या यों कहें इलोक्ट्रोनिक मीडिया की एबीसीडी श्रीकांत सर जी के सानिध्य में रह कर सीखा। और फिर 2005 में बिहार छोड़ दिया। उसके बाद ईटीवी (दिल्ली) में एन.के. सिंह जी सानिध्य में काम करने का मौका मिला। इसी दौरान 2008 में कुछ महिने कि लिए ईटीवी हैदराबाद में काम करने और देखने का मौका मिला। लेकिन मुझे वहां कैद जैसा महसूस हो रहा था , सो तीन महिने में ही छोड़कर फिर दिल्ली का रुख किया। और यहां आते ही वरीष्ठ पत्रकार कुमार संजॉय सिंह जी के साथ हमार टीवी में स्पेशल कॉरेस्पॉंडेंटध्एंकर पद पर काम मिल गया। यहां काम करना मजेदार रहा। इसके छ चैनल थे। कभी भोजपुरी, तो कभी हिन्दी में फोनो और लाइव देना।साथ ही प्रोग्रामिंग में भी काम करने का मौका मिला। यहां पर श्वेता जी,दिलीप जी,मनोज जी,नीरज ये सब प्रोग्रामिंग में थे इनका भी स्पोर्ट मिला। बाद में उदय चंद्रा सर जी के साथ इसके बाद अशुमांन जी के साथ भी काम करने का मौका मिला। गार्गी जी, हरीश परदेशी जी जैसे लोगों से प्रशासनिक और तकनीकि पहलुओं को समझने का मौका मिला। फिर चैनल बंद होने के बाद वरीष्ठ पत्रकार उदय सिंह जी जो की उस वक्त चैनल वन में थे उन्होनें बुला लिया। इस तरह दिल्ली में खुब काम खुब मस्ती अपने लोगों के साथ चलाता रहा। मजा आता था। सच कहें तो दिल्ली का मजा ही कुछ और है।
प्र.टूडे24- फिर पटना कैसे आने हुआ
राजेशः-दरअसल कुछ घर के काम की वजह से पटना आना पड़ा और जब यहां आया तो आर्यन टीवी में काम करने का मौका मिला। फिर साधना और उसके बाद बीटीवी होते हुए आज की तारीख में दर्श न्यजू में सेवा दे रहा हूं।
प्र.टूडे24ः- कैसी खबर करना अच्छा लगता है
राजेश- देखिए सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस करना मुझे पसंद नहीं है। खबर आम आवाम,बुनियादी सवाल,और जोखिम भरा हो तो मजा आता है।
प्र.टूडे24- अच्छा दिल्ली मीडिया और पटना की मीडिया में क्या फर्क है?
राजेशः- बहुत अंतर है। पटना ठहरा हुआ सा शहर है, दिल्ली में रफ्तार है। देखिए यहां बड़े से बड़ा पत्रकार एक या दो स्टोरीध्बाइट ले लेता है उसकी ड्यूटी पुरी हो जाती है,जबकि दिल्ली में लगातार काम करना पड़ता है। यहां आराम जायदा है काम कम दिल्ली में काम जायदा है आराम कम। यहां यह चिंता का विषय है की पटना में बड़े मीडिया हाउस खुले लेकिन बंद हो गए। इसके लिए यहां के मीडियाकर्मी ही जिम्मेवार हैं। ये लोग यहां काम नहीं करते दिल्ली में रात दिन काम करेंगे। हाल के दिनों में बिहार के मीडिया में जातिवाद और ज्यादा हावी हो गया है। यहां बड़े-बड़े पत्रकार पत्रकारिता कम दलाली जायदा कर रहे हैं। सच कहें तो इनके संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। दुख होता है जब कोई मीडिया हाउस बंद होता है तो। हलाकिं इसके लिए कई कारक जिम्मेवार हैं।
और यह मंथन का विषय है।फिर भी निराश होने की जरुरत नहीं है। रास्ता निकलेगा।
प्र.टूडे24ः-कहा जाता है कि आप अपने महिला मित्रों में भी बड़े चर्चित रहे हैं।
राजेशः-(हंसते हुए) नहीं ऐसी बात नहीं है। मेरे रिश्ते सब से अच्छे रहे हैं। मुझे सब से प्यार मिला। वो चाहे३.देखिए नाम लेना उचित नहीं होगा। आज भी मेरे मित्र मेरे लिए सदा खड़े रहते हैं। सच कहूं तो आज जहां भी हूं वो उपर वाले की कृपा और दोस्तों के सहयोग से ही हूं ।
अमर,साकिज ज्या,गोपालकृष्ण,रवि,मुरलीजी,विशालजी,अनुराग त्रिपाठी ,उमा,आलोक लिस्ट लंबी है। आज भी हमसब मित्र चाहे महिला हो या पुरुष एक दुसरे का ख्याल रखते हैं। अपनी समस्या एक दुसरे से शेयर करते हैं। दोस्ती बहुत बड़ी चीज होती है जनाब।
प्र.टूडे24- आगे क्या प्लान है
राजेशः-देखिए अभी दो किताब लिख रहा हूं। जिसमें से एक अगस्त तक मार्केट में आ जाने की संभावना है। दुसरी इसी साल दिसंबर में आएगी। एक शॉट फिल्म की शूटिंग शुरु करने वाला हूं। उपर वाले ने चाहा तो बहुत जल्द एक नेशनल न्यूज चैनल लेकर आउंगा।
प्र.टूडे24- पटना से या नोएडा से?
राजेशः- अभी नहीं बताउंगा,काम चल रहा है। जब आएगा तो सबको पता चल ही जाएगा। लेकिन हां अन्य चैनल से अलग जरुर होगा। जहां काम करने वाले के मन में ये भय नहीं रहेगा कि कभी भी हमारी नौकरी जा सकती है। प्रोजेक्ट बड़ा सो वक्त लग रहा है। लेकिन आपसब के सहयोग से जल्द हम सब एयर में होगें।
प्र.टूडे24ः- आप इतने सारे काम कर रहे हैं ,परिवार और अन्य कामों के बीच कैसे वक्त निकालते हैं?
राजेशः-दरअसल मेरा उर्जा स्रोत मेरा परिवार है ,मेरे दोस्त हैं, मेरे माता-पिता(आज की तारीख में इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मेरा मानना है कि वो आज भी मेरे साथ खड़े हैं), मेरा छोटा भाई पंकज, मेरी सासू मां, मेरी पत्नी अंजू मेरा बेटा रौशन ये सब मुझे परेशान नहीं होने देते। ये लोग संभाल रखे हैं।
प्र.टूडे24-कहा जाता है की आप एक दिन ऑफिस से छुट्टी नहीं लेते है।
राजेश- देखिए उपर वाले ने काम करने के लिए भेजा है, उसे जब लगेगा की राजेश को आराम की जरुरत है वो बुला लेगा।अभी बहुत काम बाकि है। (हंसते हुए) ऐसे आज से सौ साल तक मुझे यमराज भी नहीं मार सकते हैं। काम को काम समझकर नहीं कीजिए बल्कि इनज्या कीजिए। मजा आएगा।
ऐसे पत्रकार जिन्होंने दिल से इसे जीने की कोशिश की कभी किसी को अपने से छोटा नहीं समझा। हर बार एक नया प्रयोग करने में माहिर इस पत्रकार ने एक नई इबारत लिखने के लिए कदम बहुत आगे बढ़ा रखी है और आगे अपने बिहार को ही नोएडा बनाने में लगे हैं। बिहार की प्रतिभा को बिहार में ही जगह देने के लिए लगातार कोशिश इनकी जारी है। टूडे24 को आपने अपना बहुमूल्य समय दिया इसके लिए आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद।

COMMENTS

  • गणेश तिवारी

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