वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक

मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार के वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में कहां की बिहार में विगत वर्षों में उग्रवादी हिंसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त होना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है। केन्द्र एवं प्रभावित राज्यों की सरकारों को इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष होनी चाहिए |                                                                           नक्सली हिंसा देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है और यह विकासोन्मुखी सरकार की नीतियों के सफल क्रियान्वयन में बाधक बनता है। बीते वर्षों में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबों का हित करना नहीं है, अपितु अलोकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग कर गरीबों को विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है। इनके कारण गरीब अपने वाजिब हक से तथा क्षेत्र में संचालित विकास योजनाओं के लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर हो जाते हैं परंतु इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनों में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं। नक्सली संगठनों के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता को निष्प्रभावी करने के लिए इन क्षेत्रों में समावेशी एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं कार्यान्वित करनी होगी। हमने पुलिस को अधिक जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाया है। यदि लोगों की आस्था हमारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली में बढ़ेगी तो समाज में इसके सकारात्मक परिणाम होंगे।
2018 में राज्य में सुरक्षा संबंधी व्यय योजना से आच्छादित जिलों की संख्या 22 से घटकर 16 हो गई तथा पुनः वर्ष 2021 में यह संख्या 16 से घटकर केवल 10 (रोहतास, कैमूर, गया, औरंगाबाद, नवादा, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बॉका, बेतिया) रह गई है। वर्ष 2018 में अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 06 थी जो अब घटकर केवल 03 (गया, जमुई, लखीसराय) रह गई है। अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से औरंगाबाद जिले को हटा दिया गया है। औरंगाबाद झारखंड के अति नक्सल प्रभावित पलामू का सीमावर्ती है और पहाड़ एवं जंगलों से आच्छादित है। अतः औरंगाबाद जिला को अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुनः शामिल करने की जरूरत है।
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम रखने वाली नक्सली उग्रवाद की समस्या के एक छोटे भाग से पुलिस लड़ सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने ‘न्याय के साथ विकास’ की समावेशी रणनीति बनाई। विकास से वंचित और भटके हुए लोगों को सामाजिक-आर्थिक मुख्य धारा में वापस लाने के लिए गंभीर विकासात्मक पहल किए गए हैं। वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में वंचित लोगों को आरक्षण, महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उन्हें क्षेत्र के विकास के निर्णय लेने का हक दिया गया। सभी थानों में विधि-व्यवस्था और अनुसंधान के पृथ्थकीकरण किया गया है। कानून का राज एवं भयमुक्त शासन स्थापित करना बिहार सरकार की नीति रही है। साम्प्रदायिक सौहार्द्र का वातावरण राज्य के सभी जिलों में कायम है।
नक्सली उग्रवाद का सामना करने के लिए राज्य सरकार की बहुमुखी रणनीति में न्याय के साथ विकास के सिद्धान्त पर आधारित वर्ष 2006 में शुरू की गई ‘आपकी सरकार आपके द्वार’ योजना प्रभावित क्षेत्रों में विकास के साथ सुरक्षा प्रदान करने में सहायक सिद्ध हुई। इस योजना के अंतर्गत प्रभावकारी जन सहभागिता द्वारा विकासात्मक कार्यों को संकेन्द्रित कर संतृप्ति की स्थिति तक ले जाया गया तथा विवाद एवं शिकायत निराकरण प्रणाली को अधिक सशक्त एवं प्रभावकारी बनाया गया। राज्य सरकार की इस पहल को काफी सफलता मिली। इसी के तर्ज पर केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्दजमहतंजमक ।बजपवद च्संद योजना संचालित की गई थी। वर्तमान में चल रही विशेष केंद्रीय सहायता योजना ैचमबपंस ब्मदजतंस ।ेपेजंदबम भी प्रभावकारी सिद्ध हो रही है।
बिहार देश का पहला राज्य है जहाँ उग्रवादी तत्वों की गतिविधि पर रोक लगाने के लिए उनके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति को जप्त करने हेतु न्दसूंनिस ।बजपअपजपमे ;च्तमअमदजपवदद्ध ।बज, 1967 के प्रावधानों का प्रयोग प्रारंभ किया गया था। संगठन को आर्थिक क्षति पहुंचने के कारण इसके अनुकूल परिणाम भी स्पष्ट हैं। वर्ष 2012 से 2018 तक 32 मामलों में 6.75 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। अब यही संपत्ति जब्त हो जाने से उनके संगठन क्षमता में कमी आई है।
उग्रवादी संगठन के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही के क्रम में च्तमअमदजपवद वि डवदमल स्ंनदकमतपदह ।बज का भी प्रयोग किया जाता रहा है तथा 13 मामलों में 8.76 करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्ती हेतु प्रवर्तन निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया, जिसमें अभी तक 3.01 करोड़ रूपये की चल-अचल संपत्ति म्क् के द्वारा जब्त की जा चुकी है। स्पष्टतः इतनी कार्रवाई अपर्याप्त है और नक्सली संगठन के नेताओं के विरूद्ध इसे और व्यापक करते हुए राज्य को भी इस अभियान में मिलाने की आवश्यकता है। इस संबंध में उल्लेख करना है कि बिहार ने दिनांक- 08.02.2013 को केन्द्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था कि बिहार के पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को च्तमअमदजपवद वि डवदमल स्ंनदकमतपदह ।बज के तहत 5 करोड़ रूपये तक की सीमा में कानून के अनुरूप कार्रवाई की शक्ति प्रदान करने की स्वीकृति दी जाये । इस प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार की स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है। इस संबंध में पुनः वर्ष 2015 एवं 2017 में अनुरोध किया गया है। हमारा अनुरोध है कि उग्रवाद समस्या पर प्रभावी नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार बिहार सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करे।
किसी भी पुलिस कार्यवाही अथवा अभियान की सफलता ससमय एवं सटीक आसूचना एवं उसके विश्लेषण पर निर्भर करती है। इसके लिए राज्य सरकार ने विशेष शाखा को अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित किया है। आसूचना तंत्र को अधिक पेशेवर, अधिकारी-उन्मुख तथा कार्य केन्द्रित बनाने के लिए पुनर्गठित किया गया है। राज्य पुलिस केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये बलों के साथ मिलकर लगातार अभियान चला रही है।
नक्सली हिंसा रोधी अभियान में पुलिस तथा सुरक्षाबलों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है। अभियान को सुदृढ़ बनाए रखने हेतु यह अत्यन्त आवश्यक है कि कठिन परिस्थितियों में भी उनका मनोबल बना रहे। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में भी ध्यान दिया जाता रहा है तथा अभियान के लिए गठित विशेष कार्य बल को मूल वेतन का 40 प्रतिशत अतिरिक्त राशि विशेष प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है। नक्सली हिंसा में शहीद होने वाले राज्य पुलिस कर्मियों के परिजनों को अनुग्रह अनुदान एवं अनुकंपा पर नौकरी की व्यवस्था की गई है।
महिला सशक्तिकरण के तहत हमने पुलिस में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया है और इसी का नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 23 प्रतिशत से अधिक संख्या महिलाओं की है। उल्लेखनीय है कि महिलाओं की कमाण्डो टीम को विशेष टास्क फोर्स एवं आतंकवाद निरोधक दस्ता में सम्मिलित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। एक अभिनव पहल के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थारू, संथाल, उरांव और अन्य अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को लेकर ‘बिहार स्वाभिमान बटालियन’ का गठन वाल्मिकीनगर, पश्चिम चंपारण जिला में किया गया है। राज्य सरकार के इस कदम से बगहा एवं वाल्मिकीनगर के जंगल तथा पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है।
नक्सली उग्रवाद प्रभावित जिलों में लोगों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चलाई जा रही विभिन्न विकासोन्मुखी एवं कल्याण संबंधी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण मुख्य सचिव, बिहार सरकार के स्तर से किया जाता है जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा संचार व्यवस्था के लिए पहचान किए गए बी०एस०एन०एल० के 250 मोबाईल टावर का अधिष्ठापन कार्य राज्य में सबसे पहले पूर्ण कर उन्हें ऊर्जान्वित भी किया जा चुका है। विभिन्न विकासोन्मुखी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ एवं ग्रामीण इलाकों में पहुँचने से सकारात्मक माहौल बना है।
जहाँ एक तरफ घटनाओं में कमी आना प्रसन्नता का विषय है वहीं घटनाओं का पूर्णतः समाप्त नहीं होना यह इंगित करता है कि नक्सली हिंसा की संभावना अभी भी बनी हुई है, जिसे समूल समाप्त करने की दिशा में अत्यन्त सचेत रहते हुए रणनीति बनाकर अभियानों के साथ-साथ समावेशी विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों में और तीव्रता लाए जाने की आवश्यकता है।

नक्सली उग्रवाद के विरूद्ध अभियान केन्द्र एवं राज्य सरकार का संयुक्त दायित्व है। अतः इसका आर्थिक भार भी केन्द्र और राज्यों के बीच बांट कर वहन किया जाना चाहिए।

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