बालिकाओं के हित में बिहार कैबिनेट ने लिया ऐतिहासिक फैसला

पटना,:- महिलाओं के सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण तथा उनके समानता के अधिकार को सुदृढ़ करते हुये उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ अनेक नीतिगत पहल भी की है। पंचायत एवं नगर निकाय निर्वाचन, प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति, पुलिस एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे कदम से महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ी है। जीविका कार्यक्रम ने भी महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सषक्त बनाया है। षिक्षा प्रक्षेत्र में बालिकाओं के लिये पोशाक योजना, साइकिल योजना, छात्रवृति योजना, मेधावृति योजना के फलस्वरूप कक्षाओं में लड़के/लड़कियों का अनुपात लगभग बराबर हो गया है। सामाजिक प्रक्षेत्र में समेकित बाल विकास कार्यक्रम, कन्या विवाह योजना, नारी शक्ति योजना, कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास, महिला हेल्प लाइन आदि से कन्याएॅ स्वावलम्बी बन रही हैं। सामाजिक बदलाव के अभियान जैसे- शराबबंदी, बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा का उन्मूलन से महिलाओं के जीवन स्तर में बेहतरी आई है। राज्य में महिला सशक्तिकरण नीति भी लागू की गई है। फिर भी देखा जा रहा है कि कन्याओं को जन्म से ही स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण जैसे मुद्दों पर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा अभी भी एक सामाजिक समस्या है। बिहार में शिशु मृत्यु दर 38 है, जिसमें बालकों का दर 31 है, वहीं बालिकाओं में यह 46 है। पोषाहार, टीकाकरण, उचित चिकित्सा देखभाल की कमी एवं कम उम्र में विवाह के कारण कन्याओं में मृत्यु दर, वजन में गिरावट, कुपोषण, स्टंटिंग आदि की समस्या होती है। इसलिये राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं को जीवन के विभिन्न पड़ावों पर जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उसे समेकित रूपसे देखते हुये दूर करने पर विचार किया गया। इस संदर्भ में सरकार ने बालिकाओं के संरक्षण-स्वास्थ्य-शिक्षा-स्वावलंबन पर आधारित मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का सूत्रण किया है। इस योजना का उद्देष्य कन्या भू्रण हत्या को रोकना, कन्याओं के जन्म, निबंधन एवं सम्पूर्ण टीकाकरण को प्रोत्साहित करना, लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करना, बालिका षिक्षा को बढ़ावा देना, बाल-विवाह पर अंकुश लागना तथा कुल प्रजनन दर में कमी लाना हैं साथ ही बालिकाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना, सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने के अवसर प्रदान करना तथा परिवार एवं समाज में उनके आर्थिक योगदान बढ़ाना भी इस योजना का लक्ष्य है। यह योजना न्दपअमतेंस ब्वअमतंहम अर्थात राज्य की सभी कन्याओं को जन्म से लेकर स्नातक होने के लिये होगी। इस योजना का लाभ परिवार के दो बच्चों तक सीमित रहेगा। आज मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद सभाकक्ष में राज्य कैबिनेट की बैठक में बालिकाओं के हित में यह ऐतिहासिक निर्णय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में लिया गया।

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