बैद्यनाथ धाम मंदिर के 11वें सरदार पंडा बने-गुलाबनंद ओझा

बैद्यनाथ धाम मंदिर के 11वें सरदार पंडा बने-गुलाबनंद ओझा

देवघर : बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में रविवार की सुबह गुलाबनंद को 11वां सरदार पंडा नियुक्त किया गया. सुबह उनके मुंडन के साथ उनकी ताजपोशी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. मुंडन के बाद 7 पवित्र नदियों के जल से उन्हें स्नान कराया गया. ब्राह्मण भोजन कराने के बाद गुलाबनंद ने भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की.झारखंड के श्रम मंत्री राज पलिवार, भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे, देवघर के पूर्व मेयर राज नारायण खवाड़े, कृष्णानंद झा समेत…

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सोमनाथ महादेव का केसर आम से हुआ अभिषेक

सोमनाथ महादेव का केसर आम से हुआ अभिषेक

गुजरात में सोमनाथ ज्योतिंर्लग महादेव का केसर आम से अभिषेक किया गया। केसर आम से श्रृंगार भी किया। इसमें 400 किलो केसर आम का प्रयोग हुआ। अभिषेक में 30 किलो आम लगे, श्रृंगार में 370 किलोग्राम। अभिषेक सुबह 11 बजे से प्रारंभ होकर सात मिनट तक चला। अहमदाबाद के भाविक अवनिश नागौरी ने स्वास्थ्य लाभ होने पर गुरूवार को अभिषेक श्रृंगार करवाया। नागौरी रिढ़ की समस्या से जूझ रहे थे।2013 में उन्होंने कामना की थी…

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महाबोधि मंदिर ब्लास्ट

महाबोधि मंदिर ब्लास्ट

बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में 7 जूलाई 2013 को हुए सीरियल बम धमाको में पटना के एन.आई.ए. कोर्ट ने फैसला सुनाया।10 मिनट केी सुनवाई में विशेष जज मनोज कुमार सिन्हा ने कहा-जिन जिन धाराओ के तहत आरोप गठित किए गए हैं,सभी में पांचो दोषी पाए गए है।सजा के बिन्दु पर 31 मईको सुनवाई होगी।चार साल 10 माह 12 दिन के बाद सीरियल ब्लास्ट के मास्टर माइंड रांची के हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी के अलावा…

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वैष्णो देवी यात्रा आज से फिर शुरू

सेना ने गुरूवार को जम्मू के त्रिकुटा पहाड़ी पर भड़की आग पर काबू पा लिया। इससे 15 घंटे से रुकी वैष्णोदेवी यात्रा आज सुबह फिर शुरू हो गई।आग लगने के कारण ये यात्रा रोक दी गई थी। इससे कटरा में 25 हजार श्रद्धालु फस गए थे। आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के दो हेलीकाॅप्टर और सीआरपीएफ के 200 जवान लगाए गए थे। उधर, उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में लगी आग फैलते जा…

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कौन से ऋषि का क्या है महत्व-

कौन से ऋषि का क्या है महत्व-

महत्वपूर्ण जानकारी अंगिरा ऋषि? ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। विश्वामित्र ऋषि? गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही। वशिष्ठ…

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मलमास (पुरुषोत्तम मास) 2018

मलमास (पुरुषोत्तम मास) 2018

इस वर्ष का मलमास 16 मई 2018 से 13 जून 2018 तक रहेगा । हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मल मास या पुरूषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। संपूर्ण भारत की हिंदू धर्मपरायण जनता इस पूरे मास में पूजा-पाठ, भगवद् भक्ति, व्रत-उपवास, जप और योग आदि धार्मिक कार्यों में संलग्न रहती है। ऐसा माना…

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शनि जयंति के उपलक्ष्य में

शनि जयंति के उपलक्ष्य में

शनि जयंति के उपलक्ष्य में आप सभी को हार्दिक शुभकामना। शनिदेव की कृपा आप सभी पर बनी रहे। ?दशरथ कृत शनि स्तोत्र? नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।१।। नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।२।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।३।। नमस्ते कोटरक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: । नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।४।। नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ।।५।। अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु…

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राम से परशुराम

राम से परशुराम

‘परशु’ प्रतीक है पराक्रम का। ‘राम’ पर्याय है सत्य सनातन का। इस प्रकार परशुराम का अर्थ हुआ पराक्रम के कारक और सत्य के धारक। शास्त्रोक्त मान्यता तो यह है कि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, अतः उनमें आपादमस्तक विष्णु ही प्रतिबिंबित होते हैं, परंतु मेरी मौलिक और विनम्र व्याख्या यह है कि ‘परशु’ में भगवान शिव समाहित हैं और ‘राम’ में भगवान विष्णु। इसलिए परशुराम अवतार भले ही विष्णु के हों, किंतु व्यवहार…

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सूतक

सूतक

सूतक-हमारे ऊपर आ रहे कष्टो का एक कारण सूतक के नियमो का पालन नहीं करना भी हो सकता है। सूतक का सम्बन्ध “जन्म एवं मृत्यु के” निम्मित से हुई अशुद्धि से है ! जन्म के अवसर पर जो “”नाल काटा”” जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप “सूतक” माना जाता है !जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता…

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वैदिक उपदेश

वैदिक उपदेश

आइए आज के वैदिकोपदेशशृंखला में हम कर्म और कर्मफल विषय पर कुछ चिन्तन करें ।कर्मों का फल कब, कैसा, कितना मिलता है, यह जिज्ञासा सभी धार्मिक व्यक्तियों के मन में होती है। कर्मफल देने का कार्य मुख्य रूप से ईश्वर द्वारा संचालित और नियन्त्रित है।वही इसके पूरे विधान को जानता है। मनुष्य इस विधान को कम अंशों में और मोटे तौर पर ही जान पाया है क्योंकि उसका सामर्थ्य ही इतना है। ऋषियों ने अपने…

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