असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला, निजता के संवैधानिक अधिकार के उल्लंघन के खिलाफ आज पटना के बुद्ध स्मृति पार्क के निकट एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। इस प्रतिरोध सभा में सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए। लोगों ने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थी जिनमे यूएपीए ,राजद्रोह , तथा मनमानी गिरफ्तारी जैसे कानूनों को रद्द करने संबंधी नारे लिखे थे।
इस प्रतिरोध सभा में वक्ताओं ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु एक संस्थागत हत्या है। सरकार दमनकारी कानूनों को खत्म करें।
प्रतिरोध सभा में वक्ताओं ने यह भी कहा कि
सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में करीब 7 हजार लोग यू.ए.पी.ए के तहत जेलों में बंद हैं. इसमें ज्यादातर लोग वंचित हैं- आदिवासी हैं , दलित हैं या अल्पसंख्यक समुदाय से हैं यू.ए.पी.ए कानून देश का एक ऐसा अलोकतांत्रिक कानून है
जो हमारी स्वतंत्रता और अधिकारों को कुचलती
है. इसके तहत ज्यादातर लोग ऐसी आतंकी घटना
को लेकर बंद किये गए हैं जो घटित हुई ही नहीं
है । सरकार कहती है कि यह तमाम लोग षड्यंत्र में शामिल थे ! पर अधिकतर मामले में सरकार कु छ साबित नहीं कर पाती है. अदालत से बरी
होने के पहले लोग वर्षों जेल में पड़े रहते हैं क्यूंकि इस कानून के तहत बेल मिलना बेहद कठिन है.
छह सूत्री मांग पत्र भी जारी
इस प्रतिरोध सभा में 6 सूत्री मांग पत्र भी जारी किया गया। इस मांगपत्र में यूएपीए राजद्रोह तथा मनमानी गिरफ्तारी सहित सभी काले कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है साथ ही जमानत देने का अधिकार को बहाल करने तथा सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की भी मांग है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि झूठे मुकदमे लादने वालो पर जिम्मेवारी तय हो और पीड़ितों को मुआवजा मिले। फादर स्टेन स्वामी के संस्थागत हत्या के दोषियों को सजा दी जाए। पेगासस के माध्यम से सरकारों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी बंद हो और निजता के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बंद हो।