योग की सार्वभौमिक आवश्यकता

योग की सार्वभौमिक आवश्यकता

योग का पहला सुव्यवस्थित व प्रामाणिक ग्रंथ ‘योगसूत्र’ 200 ई.पू. में लिखा गया । योग का प्रारम्भ भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतंजलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। योगसूत्र में पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि की बात की गई है महर्षि पतंजलि के अनुसार…

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