‘ ॐ ‘

‘ ॐ ‘ मूलतः तीन अक्षर अ , उ और म से मिल कर बना हुआ है
ये तीन अक्षर मूल अक्षर इसलिए है क्योंकि इनको कोई भी बोल सकता है वह भी बिना जिह्वा के
एक गूंगा व्यक्ति भी इन तीन अक्षर को भलीभांति बोल सकता है
और यही ईश्वर है
इस प्रकार ईश्वर का नाम कोई भी ले सकता है

ॐ का जाप दो प्रकार से किया जाता है
1) इस प्रकार मे अपने मुख को खोल कर अ को बोलते हुवे मुख को धीरे धीरे बंद करे इससे अ के बाद उ और फिर अंत मे म का उच्चारण हो जाता है और ॐ का उच्चारण पूर्णतः संपन्न हो जाता है
यहां पर ध्यान देने योग्य यह बात है कि मुख को खोल कर ओ को नहीं बोलना है अ को बोलना है और बिना रुके अ को बोलते हुवे मुख को बंद करना है

2) इस प्रकार मे पहले केवल अ का उच्चारण 7 बार करते है
अ अ अ अ अ अ अ
फिर उ का उच्चारण 7 बार करते है
उ उ उ उ उ उ उ
अंत मे म का उच्चारण करते है
म म म म म म म

अ का कम्पन्न गले मे ,उ का कम्पन्न ह्रदय के बगल ( स्वास नली ) मे तथा म का कम्पन्न पेट मे होता है

Santosh Baba

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