बिहार में मॉब लिंचिंग मामलों की सुनवाई 6 माह में पूरी होगी

पटना। बिहार मंत्रिमंडल की यहां गुरुवार को हुई बैठक में ‘हिंसा पीड़ित प्रतिकार स्कीम-2018’ को मंजूरी दे दी। इसके तहत ने भीड़ द्वारा हत्या मामले की सुनवाई त्वरित न्यायालय में छह महीने के अंदर पूरी कर लेने का प्रावधान है तथा पीड़ित परिवार को एक महीने के अंदर एक लाख रुपये की अंतरित राहत भी दी जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यहां मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय के प्रधन सचिव संजय कुमार ने पत्रकारों को बताया कि गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 42 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि बैठक में भीड़ द्वारा हत्या करने के मामले में हिंसा पीड़ित प्रतिकार स्कीम-2018 को मंजूरी दी गई। इसके अलावा बैठक में संविदा पर बहाल कर्मियों को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए संविदा पर बहाल कर्मियों से संबंधित उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा को स्वीकृति दी गई है। उन्होंने बताया कि इस निर्णय से सभी संविदागत नियुक्तियां एक समान शर्तो पर होंगी, उन्हें मातृत्व अवकाश देय होगा, कर्मचारी भविष्य निधि बीमा का लाभ मिलेगा तथा इनके कार्यो का वार्षिक मूल्यांकन भी होगा, जिससे एक मानक के तहत कार्य लिया जा सके। इसके अलावा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर सजावार कैदियों की रिहाई करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। बैठक में शिक्षा विभाग के तहत राज्य में प्रस्तावित कुल 23 सरकारी डिग्री महाविद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य के 23, सहायक प्राध्यापक के 1162 तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के 299 यानी कुल 1484 पदों के सृजन की स्वीकृति भी इस बैठक में प्रदान की गई। मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के जमुई के राजकीय महिला महाविद्यालय एवं अरवल, त्रिवेणीगंज (सुपौल), रजौली (नवादा) अनुमंडल तथा जगदीशपुर (भोजपुर) अनुमंडल में प्रस्तावित सरकारी डिग्री महाविद्यालय के भवन निर्माण के लिए 33़ 69 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।

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