नीतीश ने बुलाकर पूछा-कितना माल मिला था

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को ही विधानसभा में एलान किया था कि वे गच्चा देने वाले अपनी पार्टी के विधायकों को बिठाकर पूछेंगे कि उन्हें कितना पैसा मिला था| नीतीश कुमार ने अगले ही दिन से ये सिलसिला शुरू कर दिया| उन्होंने जेडीयू के विधायकों को बुलाया और पूछा-किसने कितना माल दिया था| नीतीश कुमार से आज JDU के विधायक डॉ संजीव कुमार, मनोज यादव और सुदर्शन से मुलाकात की|

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जेडीयू सूत्रों की मानें तो विधानसभा में विश्वासमत और अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जो खेला हो रहा था, उसके मास्टरमाइंड पार्टी के विधायक डॉ संजीव कुमार थे| तभी पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर ने डॉ संजीव के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी थी| उसमें डॉ संजीव पर जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की साजिश रचने से लेकर दो विधायकों के अपहरण का भी आरोप लगाया गया था| विधायक सुधांशु शेखर ने ये एफआईआर पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर दर्ज कराया था| सुधांशु शेखर ने ये बात मीडिया के सामने भी कही है|

नीतीश कुमार ने परबत्ता से जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार को अपने आवास पर बुलाया था| जेडीयू के एक वरीय नेता ने फर्स्ट बिहार को ऑफ द रिकार्ड बताया कि विधायक संजीव कुमार जब नीतीश से मिलने पहुंचे तो उनसे पहला ही सवाल ये पूछा गया कि कितने पैसे में सब खेल हुआ था| विधायक के पास कोई जवाब नहीं था| वे कहते रहे कि उन्हें जेडीयू के कुछ नेताओं से शिकायत थी इसलिए नाराज थे| नीतीश कुमार ने उन्हें सख्त लहजे में चेतावनी भी दी|
दरअसल, नयी सरकार के बाद हुए खेल में परबत्ता के विधायक संजीव कुमार ने भारी खेल किया था| विधानसभा में विश्वास मत से पहले हो रही पार्टी की बैठकों से वे गायब थे| जेडीयू के एक नेता ने बताया कि विधायक संजीव कुमार ने गलत जानकारी दी थी कि वे गोवा में अपने परिवार के साथ छुट्टी मना रहे हैं| जबकि वे झारखंड में बैठे थे| वहां से वे लगातार राजद नेताओं और अपनी पार्टी के कुछ बागी विधायकों से लगातार बात कर रहे थे|

दैनिक पंचांग

विधायक संजीव कुमार का पता लगाने के लिए सरकार को प्रशासनिक तंत्र का सहारा लेना पड़ा| संजीव कुमार के साथ रहने वाले एक व्यक्ति के मोबाइल नंबर को ट्रेस किया गया| उससे लोकेशन पता चला कि विधायक जी झारखंड में हैं| वे 11 फरवरी की रात झारखंड से पटना वापस लौट रहे थे| प्लानिंग ये थी कि अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान गायब रहा जाये. जब तत्कालीन अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी बच जाती तो संजीव कुमार समेत जेडीयू के दो और बागी विधायक सदन में मौजूद हो जाते| वे सरकार के खिलाफ वोटिंग करते और अध्यक्ष के सहारे उनकी विधायिकी बची भी रह जाती|

लेकिन सरकार ने डॉ संजीव कुमार के पीछे पूरी ताकत लगा दी| उन्होंने 11 फरवरी की रात जैसे ही झारखंड से बिहार बार्डर में एंट्री ली, नवादा की कई थानों की पुलिस उनके स्वागत के लिए खड़ी थी| डॉ संजीव वहां से निकल भागे लेकिन नवादा के एसपी खुद इस मामले की निगरानी कर रहे थे. एसपी ने खुद पीछा कर विधायक संजीव कुमार को पकड़ा| उसके बाद उन्हें पुलिस की सुरक्षा में वन विभाग के गेस्ट हाउस में रखा गया और 12 फरवरी की सुबह पुलिस की निगरानी में विधानसभा भेजा गया|

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तब तक अध्यक्ष की कुर्सी जा चुकी थी| डॉ संजीव को लग गया था कि अब खेला खत्म हो गया है| लिहाजा वे नीतीश कुमार का गुण गाने लगे. विधानसभा पहुंचे विधायक संजीव कुमार ने कहा कि वे नीतीश कुमार के पक्के समर्थक हैं| उन्हें कुछ अधिकारियों और जेडीयू के एक-दो नेताओं से शिकायत है. आज नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद जब मीडिया ने संजीव कुमार से सवाल पूछा कि मुख्यमंत्री से क्या बात हुई तो उनका जवाब था कि मैंने अपनी समस्याओं से सीएम को अवगत कराया है. विधायक संजीव कुमार ने कहा कि एक अधिकारी उनके क्षेत्र का विकास नहीं होने देना चाहते हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की है. विधायक ने कहा कि नीतीश कुमार तो शुरू से उनके नेता थे औऱ रहेंगे| वहीं, मुख्यमंत्री से मिलने के बाद जेडीयू के विधायक मनोज यादव और सुदर्शन ने भी यही कहा कि वे पार्टी के वफादार हैं. वे अपने क्षेत्र की समस्याओं से सीएम को अवगत कराने गये थे औऱ मुख्यमंत्री ने कहा है कि सारी समस्याओं को दूर किया जायेगा|

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