पटना: विधानमंडल के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार की शिक्षा विभाग सहित कई विभाग सरकार के दबाव में अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विरोध करने वाले नियोजित शिक्षक पर कार्रवाई करने का जो फरमान सुनाया है वह इसका बड़ा उदाहरण है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित सहयोग कार्यक्रम में आम लोगों की समस्या को सुनने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जनता दरबार में मान चुके है कि अधिकारियों की बातें कर्मचारी नहीं सुनते।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली में शिक्षक के हित में और व्यवहारिक विषय लाने के बजाए लटकाने वाला का भाव साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि इससे धांधली का माहौल बन रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो साढे तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति का वादा किया गया था उसकी प्रक्रिया को सरल बनाते हुए नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए थी, जिसमें सीटीइटी, बीटीइटी और नियोजित शिक्षकों की प्राथमकिता होती। लेकिन अब सरकार भटकाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ खिलवाड करने का मतलब राज्य के बच्चों से खिलवाड करना होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा बचाने के लिए काम करना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग सरकार की प्राथकिमता में ही नहीं है।
उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा के विधायक अपने जिले स्कूलों की स्थिति का जायजा लेंगे। श्री सिन्हा ने कहा कि जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के स्कूल जाएंगे हकीकत की पोल खोलेंगे। इस दौरान स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से भी मिलेंगे।
उन्होंने नियोजित शिक्षकों को भरोसा देते हुए कहा कि यह निकम्मी सरकार जब हटेगी और भाजपा की सरकार बनेगी तब न केवल सभी नियोजित शिक्षकों को बल्कि सीटीइटी और बीअीइटी के अभ्यर्थियों को न्याय ही नहीं दिया जाएगा बल्कि राज्य में शैक्षणिक वातावरण भी बनेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर को सुधारना बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पिछले 33 साल से बिहार में राजद और जदयू के हाथ में शिक्षा विभाग का दायित्व रहा है।
उन्होंने जातीय गणना को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा कि सरकार की नियत साफ नहीं इस कारण नीतियां असफल हो रही है। उन्होंने आम लोगों से गांव-गांव में स्थित स्कूलों को सुधारने के लिए सत्ता पक्ष के नेताओं पर दबाव बनाने के लिए अभियान चलाने की अपील की।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी के पोस्टर को कालिख से पोतने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विकृत मानसिकता वाले लोग सांस्कृतिक विरासत पर गर्व नहीं शर्म महसूस करता है। पहले तो सरकार में बैठे मंत्री ने उन्हें रोकने के लिए सेना बनाई और जब लाखों लोग पहुंचने लगे तो सत्ता में बैठे लोगों की शह पर चोर दरवाजे से पोस्टर फाडने और पोस्टर पर कालिख पोतने का कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि ऐसे लोग सामने आए तो बिहार की जनता ऐसे लोगों के चेहरे पर ऐसा कालिख पोतेगी कि फिर कभी राजनीति करने लायक ही नहीं रहेंगे।
श्री सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी आप तो कहते हैं कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए, फिर हिंदू धर्म के अपमान करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि गांधी मैदान में तुष्टिकरण करने में आपकी भूमिका होती है तो हनुमंत कथा में भाग लेने ं में लज्जा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति बंद होनी चाहिए।