काला बिल्ला लगाकर देशव्यापी विरोध दिवस मनाया

पटना, 26 मई 2021:-राष्ट्रीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आव्हान पर आज देशव्यापी विरोध दिवस मनाया जा रहा है।किसान आंदोलन के समर्थन में काला बिल्ला लगाकर सरकार का विरोध करते हुए अध्यक्ष बिहार प्रदेश हिंद मजदूर सभा सह पूर्व कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह, श्री शमशाद आलम, श्री शमीम अहमद एवं सुनील कुमार.

भारत सरकार द्वारा कॉर्पोरेट घरानों के हाथों कृषि क्षेत्र सौंपने की नियत से बनाए गए तीन कृषि कानूनों को समाप्त करने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश को लागू करने तथा किसानों को उनके द्वारा पैदा किए गए अनाजों को एमएसपी दर पर खरीद के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर देशभर के किसान विगत छह महीनों से आंदोलन कर रहे हैं।दिल्ली आने जाने वाले मार्गों पर लाखों किसान आज भी शांतिपूर्ण धरना पर बैठे हैं। विगत ठंड के मौसम में सैकड़ों किसानों की मौत हो चुकी है। किसान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए अहिंसात्मक तरीके से शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रखे हुए हैं।
दूसरी तरफ करोना जैसी महामारी ने संपूर्ण भारत को लाशों के ढेर में तब्दील कर दिया है। लाखों लोग सरकारी उपेक्षा और बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण अपनी जान गवा चुके हैं। सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो चुकी है।

बावजूद इसके आज भी लाखों किसान कई बोर्डरो पर धरना पर बैठे हैं। धरना पर ठंड से ठिठुर कर मरने वाले अमर शहीदों किसानों और कोविड-19 से लड़ते हुए वीरगति पाने वाले लाखों भारतवासियों के प्रति भारत की सरकार ने संवेदना प्रकट करना तथा श्रद्धांजलि अर्पित करना भी भूल गई। यह राष्ट्रद्रोह है।
करोना युद्ध मैं हमने हजारों चिकित्सकों, प्राध्यापकों, विधायकों, सांसदों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, कवियों ,शिक्षाविदों जैसे अनेक नवरत्नो को खोया है। बच्चों और युवाओं को खोया है जो आने वाले भारत के निर्माता हो सकते थे।
हम करोना युद्ध में हर तरह का सहयोग करने को तैयार हैं। सत्ता पक्ष अपनी जीत छोड़ें विपक्षियों अपमानित करना बंद करें।
देश के सभी विपक्षी नेताओं समाजसेवियों हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित कर उनसे वार्ता करें और इस महामारी पर नियंत्रण पाने का उपाय ढूंढे। हो रहे नरसंहार को रोकने पर सामूहिक विमर्श से सभी देशवासियों का विश्वास प्राप्त करते हुए शीघ्र इस महामारी पर विजय प्राप्त करने का संकल्प लें।
साथ ही विगत 6 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन के सम्मानित नेताओं से वार्ता कर उनकी मांगे पूरी करें ताकि कृषि उत्पाद पर इस संकट की घड़ी में कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़े।
लॉक डाउन की वजह से सभी छोटे-बड़े उद्योग धंधे बंद पड़े हैं। करोड़ों लोगों को नौकरी गवाकर बेरोजगारी का शिकार होना पड़ा है।
अभी वर्तमान में कृषि क्षेत्र ही सवों को रोजगार मुहैया करा सकता है तथा अन्‍‍‌‍न उत्पादन में विश्व में एक नया कीर्तिमान कायम कर सकते हैं।

Report by; Saloni mishra

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