तीज में उलझन क्यों

संतोष पाठक 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️9031088039🕉️
कल तीज है, पर लोगों का तरह-तरह की बातों को सुनकर बहुत सारे लोगों का फोन आ रहा है
1.प्रश्न- तीज तो आज दोपहर 2.38 से कल दोपहर 2.32 तक ही है तो सरगही क्या तृतीया में हो सकेगी?
उत्तर- एकदिवसीय कोई व्रत एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक 24 घंटे का ही होता है।ऐसे में आज रात्रि के अन्तिम पहर में सरगही करना भी आज ही माना जाएगा।इसलिए जैसे सरहगही होती आई है, वैसे ही होगी।
2.प्रश्न- कल 2.32 तक ही तृतीया तिथि है।तो क्या इतने समय के भीतर ही पूजा कर लेनी है?


उत्तर- नहीं।ऐसा नहीं है।तृतीया के बाद चतुर्थी का आना भी अति उत्तम माना गया है। जिसका उदय उसी अस्त भी माना गया है हमारे सनातन धर्म शास्त्रों में।अतः जैसे पूजा होते आई है, वैसे करना चाहिए उसमे कोई दोष नहीं है।ऐसे भी चौथ व्रत में भी श्री गणेश भगवान की ही पूजा होती हैं।और तीज मे भी श्री गणेश जी माता पार्वती जी एवं श्री शिव जी की ही पूजा अर्चना किया जाता हैं।तो इसमे कहा कोई दोष हो रहा है।इसमे को शंका नही है।आप सभी माता बहन सुबह से लेकर मध्य रात्रि काल तक पूजा अर्चना, भजन कीर्तन करें।तो आपका शुभ ही शुभ होगा।इसमें कोई शंशय नही है।
3.प्रश्न- क्या दवा लेकर व्रत किया जाएगा?
उत्तर- किसी व्रत,उपवास में बालक,(बच्चा)वृद्ध और रोगी,सूतक वालो के लिए सब कुछ क्षमा याचना से सब क्षमा हो जाता है।बाल का अर्थ अज्ञानी भी है।अतः अनजान में,रोगी, रोगग्रस्त होने पर तथा बुढापा आ जाने पर जितना बन सके, उतना ही करना चाहिए। इसमें किसी प्रकार कोई दोष नही लगता है।सब दोष क्षमा हो जाता हैं।

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